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 नानकमत्ता :आबादी में बनी दुकानों को जिला पंचायत विभाग ने अवैध बताकर ढहाया।

नानकमत्ता :आबादी में बनी दुकानों को जिला पंचायत विभाग ने अवैध बताकर ढहाया।

जिला पंचायत के अधिकारी, व राजस्व विभाग,तथा मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा ।


राजीव कुमार सक्सेना

नानकमत्ता: नगर के खटीमा, पानीपथ राजकीय राजमार्ग पर आवादी में वर्षों पुरानी दुकानों को अवैध अतिक्रमण में दर्शाते हुए जिला पंचायत विभाग द्वारा स्थानीय पुलिस के सहयोग से जेसीबी मशीनों की मदद से ढहा दिया गया है जिसको लेकर लोगों में शासन प्रशासन के प्रति आक्रोश पनप रहा है।
        शनिवार को ‌नगर के खटीमा, पानीपथ राजकीय राजमार्ग पर मुख्य चौराहे पर बनी बलवीर सिंह पुत्र स्व: होरी लाल की वर्षो पुरानी दुकानो को जिला पंचायत विभाग उधमसिंहनगर नगर के अपर मुख्य अधिकारी तेज सिंह ने अपने विभाग के अन्य कर्मचारियों के साथ मौके पर जाकर दुकाने अपनी जमीन में बना होना बताकर तहसीलदार एवं थाना अध्यक्ष देवेन्द्र गौरव एवं भारी पुलिस बल की मौजूदगी में जेसीबी मशीन से दुकानों के आगे पडे तीन शैड सहित दुकानों के पक्के निर्माण को ढहा दिया  है। इस कार्रवाई से मौके पर लोगों की भारी भीड़ जमा रही, विभाग की कार्रवाई से लोगों में शासन प्रशासन के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है। इस मौके पर जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी तेज सिंह , तहसीलदार सितारगंज पंकज चंदोला, नायब तहसीलदार राजेंद्र सनवाल, कानूनगो मोहिद्दीन ,पटवारी अन्न्त शर्मा, जिला पंचायत विभाग के ईओ हरिमोहन, मुकेश राना, कुलदीप सिंह कमल सिंह मोहन बिष्ट अनुभव तिवारी मंगतराम रोहित बंसल सुमित खेड़ा आदि मौजूद रहे। 

                     
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी सरकारी तालब की भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पा रहा है प्रशासन ,कब अतिक्रमण मुक्त होगी सरकारी तालाब भूमि।



नानकमत्ता: बता दे कि उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा जनहित याचिका संख्या 174/2018 मनमोहन सिंह बनाम उत्तराखण्ड राज्य के अनुपालन में सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना था।जिसको लेकर विगत माह पूर्व तहसील प्रशासन द्वारा राजस्व विभाग के पटवारी व अन्य अधिकारी के माध्यम से जमीन की नाप जोख करायी गयी थी तथा यहां सरकारी तालाब की भूमि पर बने आवासों में निवास कर रहे लोगों को राजस्व विभाग द्वारा अवैध निमार्ण अतिक्रमण हटाने का नोटिस भी दिया गया है। बावजूद इसके सरकारी तालाब की भूमि पर हुए अतिक्रमण को संबंधित विभाग के आला अधिकारी हटाने में बौने साबित हो रहे हैं।जिससे न्यायालय के आदेशो की अवमानना होती दिख रही है। वहीं लोगों द्वारा कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी चुनाव के चलते अतिक्रमण हटाने के मामले को फिलहाल ठंडे बस्ती में डाल दिया गया है।


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